Madhu varma

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लेखनी कविता -नानी - बालस्वरूप राही

नानी / बालस्वरूप राही


गर्मी की छुट्टियाँ मनाने,
नानी के घर पलटन आई।

धननु, मन्नू, तननु, कन्नु,
चिंकी, पिनकी बहनें भाई।

कोई माँगे गरम पकौड़े,
कोई माँगे दूध-मलाई।

माँगे पूरी करते-करते,
नानी बन बैठी हलवाई।

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